हुजुर-ए-अकरम सल्ललाहो अलेही वसल्लम का इरशाद हैं की जब कोई मुस्लिम सुबह
में अपने दुसरे बीमार मुस्लिम भाई की तबियत पूछते को जाता हैं तो 70000
फ़रिश्ते उसके लिए शाम तक मगफिरत की दुआ करते हैं और अगर कोई शाम को तबियत
पूछने जाता हैं तो 70000 फ़रिश्ते उसके लिए अगले दिन सुबह तक मगफिरत की दुआ
करते हैं और उसको जन्नत में एक बाग़ दिया जायेगा.
तो दोस्तों किसी की मिज़ाज पुर्सी में कंजूसी मत किया करो.
हुजुर-ए-अकरम सल्ललाहो अलेही वसल्लम का इरशाद हैं की जब कोई मुस्लिम सुबह में अपने दुसरे बीमार मुस्लिम भाई की तबियत पूछते को जाता हैं तो 70000 फ़रिश्ते उसके लिए शाम तक मगफिरत की दुआ करते हैं और अगर कोई शाम को तबियत पूछने जाता हैं तो 70000 फ़रिश्ते उसके लिए अगले दिन सुबह तक मगफिरत की दुआ करते हैं और उसको जन्नत में एक बाग़ दिया जायेगा.
तो दोस्तों किसी की मिज़ाज पुर्सी में कंजूसी मत किया करो.
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